Essay on Child Marriage | बाल विवाह पर निबंध
बाल विवाह पर निबंध | Essay on Child Marriage in Hindi
Essay on child Marriage-बच्चों के बारे में सोचते ही सबसे पहला चित्र जो हमारे मन में आता है, वह एक मासूम सा चेहरा है जो अपने बचपन के खेल कूद में उलझा हुआ है। उनके कंधे शादी जैसे जिम्मेदारियों को उठाने के लिए नहीं बने। मगर इस बात का हमें खेद है कि भारत में आज भी विभिन्न जगहों पर बाल विवाह – Child Marriage जैसी कुप्रथा चलाई जा रही है।
Essay on Child Marriage | बाल विवाह पर निबंध (250 शब्द)
प्रस्तावना | Introduction
बच्चों को हमेशा एक स्वच्छ मन वाले फूल की तरह देखा जाता है। मगर बड़े दुःख की बात है कि भारत में कुछ ऐसे भी जगह हैं जहां पर बच्चों का विवाह जल्दी करवा दिया जाता है। अगर आप बाल विवाह का अर्थ समझना चाहते हैं तो भारतीय संविधान के अनुसार हर वह लड़का और लड़की जिसकी उम्र 21 वर्ष से कम है उसका विवाह होता है तो वह बाल विवाह माना जाएगा।
कई सालों से भारत में राजा महाराजाओं के समय से ही दहेज लेने की एक प्रथा चल रही है। जब यह दहेज लेने की और देने की प्रथा भारत में तीव्र हो गई तब गरीब और छोटे घर के लोगों ने अपने घर की बेटियों को बोझ समझना शुरू कर दिया और उनका बचपन में ही विवाह करके अपने आप को इस बोझ से छुटकारा पाने के ख्याल से बाल विवाह जैसी कुप्रथा का जन्म हुआ।
हालांकि सरकार इस बात को समझती है और अधिक से अधिक जागरूकता फैलाकर सभी लोगों को बताना चाह रही है कि बच्चों के हाथ में किताब और खिलौने अच्छे लगते है। उनका विवाह करवा कर उन्हें चारदीवारी में बंद करके उनके भविष्य को बर्बाद ना करें। हम सभी को यह बात समझनी चाहिए कि अगर हम बच्चों को उचित शिक्षा देंगे और उनके भविष्य के बारे में उन्हें सोचने का मौका देंगे तो वह अच्छे भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। अपने गरीब घर की परिस्थिति को भी सुधार सकते हैं। माता-पिता को भी अपने स्वार्थ की चिंता ना करते हुए बच्चों के भविष्य के बारे में सोचना चाहिए और उन्हें विश्व में उचित मार्ग पर चलने के लिए सही शिक्षा और व्यवहार देना चाहिए।
Essay on Child Marriage | बाल विवाह पर निबंध (500 शब्द)
बच्चों को हमेशा हम एक मासूम के रूप में जानते है। किसी भी बच्चे को देखते हुए हमारे मन में ख्याल आता है की वह अपने बचपन में खेले कूदे। मगर बाल विवाह एक ऐसा अभिशाप है जो बच्चों से उनका बचपन छीन लेता है। जिन बच्चों के हाथ में गुड़िया और गुड्डे होने चाहिए, उन बच्चों के हाथ में शादी जैसे पवित्र बंधन की डोर थमा दी जाती है। जिन कंधों पर स्कूल का बैग होना चाहिए, उन कंधों पर परिवार की जिम्मेदारियां रख दी जाती है।
जिससे बच्चे बचपन में ही घर के प्रश्नों में उलझ कर रह जाते हैं। ना तो वे अपने जीवन में सही शिक्षा पा पाते हैं ना ही अपने जीवन को और बेहतर बनाने के बारे में सोच पाते हैं। इन सब की शुरुआत राजा महाराजा के समय से हुई थी। उस जमाने से ही शादी में एक दहेज प्रथा चलती थी अर्थात बेटी की जब शादी होती थी तो बेटी के माता-पिता लड़के वालों को कुछ धन-संपत्ति देते थे। धीरे-धीरे यह प्रथा इतनी तेजी से बढ़ी कि लड़कियों को बोझ की तरह देखा जाने लगा फिर छोटे वर्ग के गरीब लोग अपने बेटी के बोझ से छुटकारा पाने के लिए उनका विवाह बचपन में ही करना शुरू कर दिया। इस कुप्रथा की शुरुआत सदीयों पहले लड़कियों की शादी नाम के बोझ से छुटकारा पाने के लिए शुरू की गई थी।
बाल विवाह पर रोक | Ban on Child Marriage
आपको जानकर काफी दुःख होगा कि आज भी बहुत सारे जगहों पर बाल विवाह सक्रिय है। सरकार इसे बंद करने के पीछे बहुत सारे मुहिम चला रही है। मगर कुछ गांव के लोग इसे आज भी समर्थन देते है। कुछ लोगों का मानना है कि लड़की एक बोझ की तरह होती है। जिस गरीब के घर में बेटी होती है वह अपनी बेटी को जल्दी से जल्दी शादी कर के अपने से दूर करना चाहता है ताकि वह अपने बोझ से छुटकारा पा सके। यह सब शिक्षा की कमी की वजह से हो रहा है।
सरकार इस बात को समझती है कि अगर बाल विवाह जैसी कुप्रथा चलती रही तो बच्चों का भविष्य खराब हो सकता है। बच्चे ही आने वाले समाज का भविष्य होते है। अगर माता-पिता अपने स्वार्थ के लिए बच्चों के बचपन और उनके मौलिक अधिकार का हनन करने लगेंगे तो बच्चे अपने भविष्य को सही रूप से सवार नहीं पाएंगे जिसका फल यह होगा कि हम अपने देश केभविष्य का अंत कर देंगे।
निष्कर्ष | Conclusion
अंततः हमें इस बात को समझना चाहिए कि बच्चों का जन्म खेलने कूदने और पढ़ने लिखने के लिए हुआ है। बच्चों की कुछ मौलिक अधिकार होने चाहिए ताकि उन्हें अपनी बात को रखने और समझदारी से दूसरे की बात को समझने की शक्ति प्रदान हो। बाल विवाह जैसी कुप्रथा को बंद करके बच्चों के भविष्य को संवारा जाय, जिससे आने वाले समाज का एक सही रूपांतरण हो सके।
Essay on Child Marriage | बाल विवाह पर निबंध (850 शब्द)
प्रस्तावना | Introduction
बाल विवाह एक ऐसा अभिशाप है, जिसे कई लोग सही तरीके से समझ नहीं पाते और बच्चों को घर गृहस्ती संभालने के एक अजीब से खेल में फंसा देते है। हम सब को यह बात समझनी चाहिए कि बच्चे आने वाले भविष्य का दर्पण होते हैं हम उन्हें जितनी अच्छी शिक्षा देंगे और भविष्य में जितने बड़े काम करने के लिए तैयार करेंगे उससे वह घर और समाज की परिस्थिति को बदल पाएंगे। बाल विवाह एक ऐसा कुप्रथा है जिसे आज भी भारत के विभिन्न जगहों पर पालन किया जाता है। इस प्रथा में बहुत ही कम उम्र में बच्चों की शादी करवा दी जाती है। और एक लड़की बच्ची को किसी दूसरे परिवार में भेज दिया जाता है जहां उसके साथ शारीरिक हिंसा जैसे विभिन्न प्रकार के प्रताड़नाए दी जाती है।
एक बच्चा और बच्ची की शादी करवाने पर वह अपने दायित्व को समझ नहीं पाते और घर में सही फैसले ना ले पानी की वजह से उनका भविष्य खतरे में पड़ जाता है। एक बच्चा कभी यह नहीं समझ पाता कि वह अपने जीवन में क्या कर सकता था, अगर उसे शिक्षा दी जाती। इस प्रकार हमारा समाज बाल विवाह की वजह से एक ऐसी बीमारी का शिकार हो गया है जिसने लिंग के आधार पर एक खास प्रकार के इंसान से उसकी कुछ मौलिक अधिकार छीन लिए जाते हैं जो पूरी तरह से गलत है।
बाल विवाह किसे माना जायेगा? | What would be considered Child Marriage?
जब हम यह कहते हैं कि एक बच्चे की शादी हो गई है तो इससे हमें पता नहीं चलता कि किस किस्म के बच्चे की शादी हुई है और किस उम्र में हुई है। जब आप बाल विवाह के बारे में जानकारी प्राप्त करने निकलेंगे तो आपको यह बताया जाएगा कि गरीब घर के लोग अपनी बेटी के लिए उचित मात्रा में दहेज इकट्ठा नहीं कर पाते हैं। इस वजह से वह अपनी बेटी नाम के बोझ से छुटकारा पाने के लिए बाल विवाह का सहारा लेते हैं।
मगर सरकार के अनुसार हर वह व्यक्ति जिसकी उम्र 21 वर्ष से कम है और उसका विवाह किया जा रहा है तो वह एक बाल विवाह माना जाएगा। हालांकि 18 वर्ष के बाद कोई भी बच्चा बालिग हो जाता है और वह अपना फैसला खुद ले सकता है साथ ही सरकार उसे बच्चा नहीं मानती। मगर भारतीय संविधान के अनुसार शादी करने की सही उम्र 21 वर्ष रखी गई है उससे पहले भले ही वह व्यक्ति बालक या बच्चे की श्रेणी में नहीं आता मगर उसे विवाह करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
बाल विवाह करने पर क्या होता है? | What happens when a child gets married?
जैसा कि हमने आपको बताया कि बाल विवाह करने से बच्चे को शारीरिक और मानसिक रूप से परेशानियां होती हैं। मगर बहुत सारे लोग यह नहीं जानते कि बाल विवाह करने पर सरकार द्वारा क्या किया जा सकता है। इस वजह से आपको नीचे कुछ जानकारियां दी गई है।
- अगर किसी तरह यह साबित हो जाता है कि शादी हो रहे लड़के और लड़की की उम्र 21 वर्ष से कम है तो लड़के को 2 साल की सजा और ₹100000 जुर्माना या दोनों हो सकता है।
- शादी हो जोड़े में शादी करते वक्त बाल की केटेगरी में आता है तो वह कोर्ट में जाकर अपनी शादी रद्द करवा सकता है इसके लिए एक आवेदन पत्र शादी के 2 साल बाद तक मान्य रहता है।
- जो भी बाल विवाह संपन्न करवाता है चाहे वह पंडित मौलवी माता-पिता रिश्तेदार या किसी प्रकार के दोस्त के बारे में शिकायत दर्ज करने पर उन्हें 2 साल की कड़ी सजा और ₹100000 जुर्माना देना पड़ेगा।
- जो व्यक्ति बाल विवाह में शामिल होते है या किसी भी प्रकार के रस्म को पूरा करवाने में मदद करते है उन पर 2 साल की सजा और ₹100000 जुर्माना लगता है।
बाल विवाह कैसे रोक सकते हैं? | How to stop Child Marriage?
अगर आप बाल विवाह को रोकना चाहते है, तो आप इसके लिए कलेक्टर ऑफिस में शिकायत दर्ज कर सकते हैं। या किसी थाना में थाना प्रभारी के अंतर्गत शिकायत दर्ज की जा सकती है। शादी की तिथि से पहले इन सभी कार्यालयों से शादी को संपन्न ना करने को कहा जाता है। अगर रोक लगने के बावजूद माता-पिता या किसी भी प्रकार के अभिभावक ने बाल विवाह को आगे बढ़ाया और शादी को संपन्न करवाने का प्रयास किया तो सरकार द्वारा इस शादी को खारिज माना जाएगा और शादी में शामिल सभी लोगों को 2 साल की कड़ी सजा और ₹100000 जुर्माना देना पड़ेगा।
बाल विवाह को रोकने के लिए सरकार ने विभिन्न प्रकार की मुहिम चला रही है। साथ ही बहुत सारे समाज सुधारक कंपनियों के द्वारा भी बाल विवाह को रोकने का प्रयास किया जा रहा है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में इस तरह के विवाह पर रोक लगा दिया गया है। मगर आज भी भारत में ऐसे बहुत सारे गांव और कस्बे हैं जहां बाल विवाह करवाया जाता है।
निष्कर्ष | Conclusion
बाल विवाह को पूरी तरह से जड़ से खत्म करने के लिए सरकार को और कड़े नियम और प्रावधान बनाने की आवश्यकता है। हमारे अनुसार बाल विवाह को रोकने के लिए जनगणना की मदद से पता लगाना चाहिए कि किन का बाल विवाह हुआ है और उसे सरकार द्वारा खारिज कर देना चाहिए।
आख़िरी शब्द (Last word)
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हमारे देश के अन्दर बाल विवाह एक कुप्रथा थी जो कि अब लगभग समाप्त सी कर दी गयी है, केवल राजस्थान को छोड़कर। राजस्थान में आज भी बाल विवाह की प्रथा चली आ रही है।