Essay on Horse | घोड़ा पर निबंध
घोड़ा पर निबंध | Essay on Horse | Ghoda Par Nibandh
प्रस्तावना | Introduction
Essay on Horse-घोड़ा एक बुद्धिमान और शक्तिशाली जानवर है। घोड़े को इंसानों द्वारा एक पालतू जानवर के रूप में पाला जाता है। इसके चार पैर होते है घोड़ा जब भी एक जगह खड़ा रहता है तब अपनी एक टांग को हमेशा ऊपर उठाए हुए रखता है। यह दुनिया में सभी जगहों पर पाया जाता है। लेकिन यह ज्यादातर गर्म इलाके वाले स्थान पर ही रहना पसंद करता है। इनका शरीर बहुत ही सुडौल होता है जिसके कारण यह दिखने में बहुत सुंदर लगते है। घोड़े की मांसपेशियां बहुत मजबूत होती है। जिसके कारण यह है 80 से 90 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकता है। इन्हीं कारणों से पुराने जमाने में युद्ध लड़ने के लिए घोड़े को ही काम में लिया जाता था।
हमारे देश में महाराणा प्रताप का चेतक नाम का घोड़ा बहुत प्रसिद्ध रहा है। यह घोड़ा पलक झपकते ही हवा से बातें करने लग जाता था। घोड़े के इसी रफ्तार के कारण महाराणा प्रताप ने कई युद्ध जीते थे। पुराने जमाने में माना जाता था कि जिसके पास ज्यादा घोड़े होते हैं वही युद्ध विजय प्राप्त करता है। उसका कारण यह है कि घोड़े तेज दौड़ते हैं और तेज दौड़ने के कारण किसी भी युद्ध को जीतना संभव होता है।
घोड़े का जीवनकाल | Horse Life
घोड़े का जीवनकाल लगभग 25 से 30 वर्ष का होता है। लेकिन 19वीं शताब्दी में Old Billy नाम का घोड़ा 62 वर्ष तक जीवित रहा था। पूरे विश्व में घोड़े की 160 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती है। घोड़े की सबसे अच्छी नस्ल अरबी घोड़ा होता है। घोड़ा कई रंगों में पाया जाता है जैसे काला, भूरा, सफेद, नीला आदि रंगों के घोड़े पाए जाते है। घोड़े की दो आंखें होती हैं जो बहुत बड़ी होती हैं। इसके दो कान होते हैं जिनसे यह छोटी से छोटी आवाज़ भी सुन लेता है। घोड़ा हमेशा नाक से ही सांस लेता है।
घोड़े की गर्दन थोड़ी लंबी होती है और साथ ही इसके गर्दन के पीछे पर बड़े बाल होते है जिसके कारण जब भी यह दौड़ता है तो इसके बाद हवा में लहराते है और यह देखने में बहुत ही सुंदर लगता है। घोड़े के एक लंबी पूंछ होती है जिस पर बड़े-बड़े बाल होते है। घोड़े के बाल अन्य जानवरों की तुलना में बहुत मजबूत होते है।
कई स्थानों पर घोड़े के गोबर को खेतों में खाद के रूप में उपयोग में लिया जाता है। इसके चलने का तरीका अन्य सभी जानवरों से बहुत अलग होता है। इसकी ऊंचाई 5 से 6 फुट होती है। घोड़े के मुंह में 40 दांत होते है। यह आमतौर पर झुंड में रहना ही पसंद करता है। और ऐसे इंसानों के करीब रहना भी बहुत पसंद है। सभी भाषाओं में घोड़े को अलग-अलग नाम दिए गए हैं जैसे कि अंग्रेजी भाषा में घोड़े को ‘स्टेलियन’ और घोड़ी को ‘मारे’ कहा जाता है जबकि जवान घोड़े को ‘Colt’ और जवान घोड़ी को ‘Filly’ बोला जाता है। घोड़े के पैरों के नीचे का भाग कठोर होता है जिसे हिंदी भाषा में ख़ुर्र भी कहते है।
घोड़े का चारा | Horse Feed
घोड़े को भोजन में हरी घास खाना पसंद करता है साथ ही यह चने भी बहुत ही चाव से खाता है। चने में बहुत सारे प्रोटीन होते हैं जिसके कारण घोड़ा इसको खा कर इतनी तेजी से दौड़ पाता है। घोड़े का बच्चा जन्म के कुछ समय बाद ही अपने पैरों पर खड़ा हो जाता है। यह दर्शाता है कि घोड़ा कितना शक्तिशाली होता है। घोड़े का हृदय बहुत बड़ा होता है जिसके कारण इसका हृदय अधिक मात्रा में शरीर में खून प्रवाहित करता है, और घोड़ा बिना किसी थकावट के कई घंटों तक दौड़ पाता है।
जीवन-प्रणाली | Mode of Life
घोड़ा स्थिति के अनुसार अपने आप को ढाल लेता है। यह अधिक सर्दी और अधिक गर्मी भी बर्दाश्त कर सकता है। यह पक्की सड़क पर भी चल सकता है तो यह किसी पहाड़ पर भी आसानी से चढ़ सकता है। यह दो पहाड़ों के बीच की छोटी खाई को भी आसानी से छलांग मारकर पार कर लेता है। इसी के कारण घोड़े को सख्त जान भी कहा जाता है। हिंदू सभ्यता में घोड़े को शक्ति का प्रतीक माना जाता है इसलिए हमारे देश में अश्वमेघ यज्ञ भी कराए जाते है. पुराने जमाने में व्यापारियों द्वारा सामान बेचने के लिए घोड़ों का इस्तेमाल किया जाता था और राजा-महाराजाओं द्वारा संदेश पहुंचाने के लिए भी काम में लिया जाता था.
परिवहन का साधन | Means of Transport
घोड़ा प्राचीन काल से ही परिवहन का साधन रहा है। इसे लोग बोझा ढोने के लिए उपयोग में लेते हैं। कुछ स्थानों पर घोड़े से हल जोड़कर खेत भी जोता जाता है। घोड़ा कुत्ते की तरह बहुत ही वफादार जानवर होता है। यह अपने मालिक की एक आवाज पर दौड़ा चला आता है। घोड़ागाड़ी का चलन प्राचीन काल से ही चलता आ रह है। घोड़ागाड़ी को लोग शाही सवारी मानते हैं। यही घोड़ागाड़ी प्राचीन समय में राजा महाराजाओं की शाही सवारी हुआ करती थी। शहरों और गावों में आज भी लोग तांगे (इक्का) पर बैठना पसंद करते हैं। जहाँ पर मोटरगाड़ी की सुविधा नहीं है वहाँ आज भी लोग के लिए परिवहन का साधन घोड़ागाड़ी या तांगा ही है।
घोड़े का उपयोग | Use of Horse
आजकल घोड़े को सैलानियों को घुमाने के लिए काम में लिया जाता है। वर्तमान समय में सभी जगह सड़क बनने के कारण घोड़े के पैरों को घटने से बचाने के लिए उसके पैरों में लोहे की नाल लगा दी जाती है। वर्तमान समय में घोड़े की दौड़ प्रतियोगिता भी करवाई जाती है। घोड़े को प्रसिद्ध खेल पोलो का खेल खेलने के लिए भी उपयोग में लिया जाता है। वर्तमान में पूरे विश्व में घोड़ों की संख्या 6 करोड़ से भी ज्यादा है।
भारत समेत अनेक देशों के द्वारा घोड़ों को सेना में भी काम में लिया जाता है। आजकल लोग घोड़े को घुड़सवारी के लिए पालना पसंद करते है। घोड़े को पालना बहुत ही खर्चीला होता है। हमारे देश भारत में घोड़े का उपयोग शादी-विवाह में भी किया जाता है। दूल्हे को घोड़े के ऊपर बैठा कर बारात निकाली जाती है। भारत में घोड़े पर बैठना शान की बात मानी जाती है। गणतंत्र दिवस के दिन भारत में फौजियों द्वारा घोड़े पर बैठकर कहीं करतब दिखाए जाते हैं और कहीं परेड निकाली जाती है।
उपसंहार | Conclusion
घोड़े का जितना महत्व है पुराने जमाने में था आज भी इसका का महत्व उतना ही है। वर्तमान में घोड़े को उपयोग में लेने के तरीकों में बदलाव आया है। इसको अब घुड़सवारी खेल खेलने और सैलानियों को घुमाने के लिए काम में लिया जाता है। पहले की तुलना में अब युद्धों में घोड़ों का उपयोग कम हो गया है। वर्तमान में इस को पालना बहुत खर्चीला होता है क्योंकि इसके लिए चारे का प्रबंध करना मुश्किल होता है। घोड़े को इनके साहस, शक्ति और वफादारी के लिए सम्मान की नजरों से देखा जाता है।
आख़िरी शब्द (Last word)
उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल (घोड़ा पर निबंध | Essay on Horse) पसंद आया होगा। अगर यह आर्टिकल आपको पसंद आया हो तो इसे आगे अपने दोस्तों में शेयर जरूर करें। आपको यह निबन्ध कैसा लगा? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
घोड़ा राजा महराजाओं के समय से ही उनकी शान है। आज भी लोग घोड़े को बहुत शौक से पालते हैं। घोड़े का इस्तेमाल सेना में लड़ाई के लिए किया जाता था और आज के दौर में लोग दौड़ के लिए और शौक के लिए पालते हैं।