Essay on Qutub Minar | कुतुबमीनार पर निबंध
कुतुबमीनार-Qutub Minar
हमारे भारत देश में बहुत से अद्भुत इमारतें हैं जिनमे से एक कुतुबमीनार (Qutub Minar) है। कुतुबमीनार का निर्माण गुलाम वंश के शासक कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा 12वीं शताब्दी में शुरू हुआ। लेकिन यह मीनार उसके शासनकाल में पूरी नहीं हो सकी जिसकी वजह से इसके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने कुतुबमीनार का निर्माण पूरा करवाया था। कुतुबमीनार भारत की प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्मारकों में से एक है। यह भारत की दूसरी सबसे बड़ी मीनारों (73 मीटर लंबी) में गिनी जाती है। यह भारत की राजधानी दिल्ली के दक्षिण में महरौली भाग में स्थित है।
क़ुतुब मीनार पर निबंध-Essay on Qutub Minar
परिचय-Introduction
क़ुतुब मीनार एक प्रसिद्ध और भारत की सबसे ऊँची मीनारों में से एक है। यह भारत की दूसरी सबसे ऊँची इमारत है। इसका निर्माण 1192 में कुतुबुद्दीन ऐबक के द्वारा शुरू कराया गया था और बाद में उसके उत्तराधिकारी इल्त्तुतमिश के द्वारा पूरा कराया गया। यह एक शंक्वाकार इंडो-इस्लामिक अफगान स्थापित्व शैली में बनायी गई मीनार है। यह 379 सीढ़ियों को रखने वाली 73 मीटर की ऊंचाई वाली मीनार है। क़ुतुब का अर्थ न्याय का स्तंभ है। यह अरबिन्द मार्ग, महरौली, दिल्ली में स्थित है और विश्व धरोहरों में जोड़ी जा चुकी है।
मीनार का इतिहास-History of Qutub Minar
इस मीनार का निर्माण क़ुतुब-उद्दीन-ऐबक के द्वारा शुरू कराया गया था, और इल्तुतमिश द्वारा पूरा किया गया था। इस मीनार का निर्माण कार्य 1200 ईस्वी में पूरा हुआ था। मीनार का निर्माण बहुत पहले लाल बलुआ पत्थरों और संगमरमर का प्रयोंग करके किया गया था। फ़िरोज़ शाह ने इसकी ऊपरी दो मंजिलों का पुनर्निर्माण कराया था, जो भूकम्प में नष्ट हो गई थी। एक अन्य पुनर्निर्माण का कार्य सिकंदर लोदी के द्वारा 1505 में और मेजर स्मिथ के द्वारा 1794 में मीनार के नष्ट हुए भागों में कराया गया था।
यह मुग़ल स्थापत्यकला की सबसे महान कृतियों में से एक है, जो सुन्दर नक्काशी के साथ बहुत सी मंज़िलों की इमारत है। यह आकर्षक पर्यटन स्थलों में से एक है। हर साल एक बड़ी भीड़ को दुनिया भर के कोनो से इसे देखने के लिए आकर्षित करती है। इसमें बहुत से बाहरी किनारे और बेलनाकार या घुमावदार रास्ते हैं और इसकी बालकनियाँ इसकी मंज़िलों को अलग करती है। क़ुतुब मीनार की पहली तीन मंज़िलों का निर्माण बलुआ पत्थरों का प्रयोंग करके हुआ है जबकि, चौथी और पाँचवी मंज़िल का निर्माण संगमरमर और बलुआ पत्थरों से हुआ है।
क़ुतुब मीनार की संरचना-Structur of Qutub Minar
यह मीनार लाल पत्थरों से बनी है। इसमें लगाए पत्थरों पर कुरान की आयतें था मोहम्मद गौरी और कुतुबुद्दीन की प्रशंसा की गई है। क़ुतुब मीनार के आधार का व्यास 14.3 मीटर और शीर्ष का व्यास 2.7 मीटर है। इसकी 379 सीढ़ियाँ है। इसका निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक के द्वारा 1193 में शुरू हुआ था लेकिन इसे इल्तुतमिश नामक उत्तराधिकारी के द्वारा पुराकिया गया इसकी पांचवीं और मन्जिल आखिरी मन्जिल 1368 में फ़िरोज़ शाह तुगलक़ के द्वारा बनवाई गई थी। इस मीनार के परिसर आस-पास कई अन्य प्राचीन और मध्य युगीन संरचनाओं के खंडहर भी हैं।
एक पर्यटन स्थल-A Tourist Place
भारत में एक पर्यटन स्थल के रूप में यह प्रसिद्ध है। यह मुग़ल स्थापित्व कला का शानदार नमूना है। हर साल लाखों पर्यटकों, विशेषरूप से छात्रों को आकर्षित करता है। यह यूनेस्को की विश्व धरोहरों में शामिल है। प्राचीन काल में कुतुबुद्दीन ऐबक भारत आया और उसने राजपूतों के साथ युद्ध किया और उन्हें हराने में सफल हो गया।
राजपूतों के ऊपर अपनी विजय की सफलता को मानाने के लिए, उसने इस अद्भुत मीनार को बनाने का आदेश दिया। इसका निर्माण कार्य बहुत सी शताब्दियों में ख़त्म हुआ हालाँकि, समय-समय पर इसके निर्माण कार्य में कुछ परिवर्तन भी किए गये। मूलरूप से यह सबसे पहले केवल एक मंज़िल ऊँची थी। लेकिन बाद के शासकों द्वारा इसमें और मंज़िलें जोड़ी गई।
निष्कर्ष-Conclusion
इस मीनार के निर्माण में लाल बलुआ पत्थर का प्रयोंग किया गया है जो इसकी सुन्दरता को बढ़ाता है। इस मीनार पर ऐबक अरु तुगलक के काल की वास्तु शैली के नमूनों को देखा जा सकता है। इस पर कुरान की आयतों के अलावा फूल पत्तियों की कला का नमूना देखने को मिलता है। इस मीनार के नजदीक कई और इमारतों का निर्माण करवाया गया था। जैसे आलम मीनार इसका निर्माण अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा करवाया गया था, किन्तु खिलजी के मौत के बाद यह कम अधुरा ही रह गया।
आख़िरी शब्द (Last word)
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