Paropkar Par Nibandh | परोपकार पर निबंध
परोपकार पर निबंध | Paropkar Par Nibandh | Essay on Philanthropy
परोपकार पर निबंध (250 शब्द)
Paropkar Par Nibandh – मानवता का असली मतलब परोपकार है। जीवन विकास के सभी गुणों में यह सबसे अच्छा गुण है। यह दो शब्दों का मिलन है: पर + उपकार = परोपकार। इसका का अर्थ होता है दूसरों का भला करना करना और दूसरों की सहयता करना। किसी की व्यक्ति या जानवर की मुसीबत में मदद करना ही परोपकार कहा जाता है। हमारे मानव जीवन का यही उद्देश है हम किसी भी प्रकार से दूसरों की मदद करे।
ईश्वर ने प्रकृति की रचना द्वारा हमें परोपकार का मूल्य बखूबी समझाया है। पेड़-पौधे कभी अपना फल नहीं खाते। सूर्य खुद जलकर दूसरों को प्रकाश देता है। परोपकार से हमारे हृदय को शांति तथा सुख का अनुभव होता है। समाज में परोपकार से बढकर कोई धर्म नहीं है। सभी धर्म परोपकार के आगे तुच्छ है। परोपकार व्यक्ति को निस्वार्थ रूप से दूसरे लोगों की सेवा अथवा सहायता करना सिखाता है। परोपकार समाज में प्रेम सन्देश और भाईचारा फैलाता है। एक समृद्ध समाज के लिए हमें परोपकार का महत्व समझना होगा। परोपकारी व्यक्ति को लोगों द्वारा आदर सत्कार मिलता है। दया, प्रेम, अनुराग और करुणा के मूल में परोपकार की भावना है।
गुरु नानक, शिव, दधीचि, ईसा मसीह, गांधी, सुभाष चंद्र बोस, जवाहरलाल नेहरू तथा लाल बहादुर शास्त्री जैसे महा पुरुषों ने परोपकार के निमित्त अपनी जिंदगी को कुर्बान कर दिया। परोपकार की शुरुआत हमेशा घर से होती है क्योंकि जो अपने परिवार से प्यार नहीं कर सकता तो वह व्यक्ति किसी और से कैसे प्यार कर सकता है। हमें बच्चों को बचपन से भले काम करने के लिए प्रेरित करना चाहिए ताकि भविष्य में एक बेहतरीन समाज की रचना हो सके।
परोपकार पर निबंध | Paropkar Par Nibandh (800 शब्द)
प्रस्तावना | Introduction
ज़िन्दगी के विकास के सभी गुणों में सर्वश्रेष्ठ गुण परोपकार है। यह गुण मानवीयता को महकाता है। परोपकार ही मानव का सबसे बड़ा धर्म है क्योंकि उनकी महिमा अपरम्पार है। इस गुण की वजह से मानव मानव के करीब आता है। ईश्वर ने मनुष्य को विकसित दिमाग के साथ साथ संवेदनशील ह्रदय भी दिया है, जो दूसरे के दुःख दर्द में शामिल होता है। किसी भी पीडि़त व्यक्ति को संकट से उबारने जैसा कोई नेक और महान कार्य इस धरती पर नही है। परोपकार को समाज में अधिक महत्व दिया जाता है क्योंकि इसके द्वारा ही मनुष्य की सही पहचान होती है।
परोपकार का अर्थ | Meaning of Philanthropy
‘पर’ और ‘उपकार’ परोपकार शब्द यह दो शब्दों का मेल है। ‘पर’ यानी कि दूसरे लोग। ‘उपकार’ यानी कि ऐसा कोई काम, जो बिना स्वार्थ के किया गया हो। यह हमें ईश्वर के समीप ले जाता है। परोपकार का दूसरा अर्थ करुणा भी होता है क्योंकि मन में करुणा नहीं हो तो हम किसी पर परोपकार नहीं कर सकते। परोपकार की भावना ही मनुष्यों को पशुओं से अलग करती है। भारत देश की संस्कृति में आपको हर जगह पर कुछ ऐसे किस्से कहानियाँ मिलेंगी, जो यहाँ के लोगों में प्रेम, दया, करूणा, सहानुभूति जैसे भावना को बढ़ावा देती हैं।
परोपकार का महत्व | Importance of Philanthropy
जीवन में परोपकार का बहुत महत्व है। मनुष्य एक समाजिक प्राणी है। उन्हें अपने जीवन अस्तित्व के लिए किसी न किसी प्रकार दूसरों पर निर्भय रहना ही पड़ता है। उनके लिए एक दूसरे की मदद के बिना कोई भी कार्य करना संभव नहीं है। परोपकार से विश्व में भाईचारे की भावना बढ़ती है। परोपकार की वजह से मनुष्य स्वार्थहीन बनता है, जो मन को आंतरिक शांति की ओर ले जाता है। एक स्वस्थ समाज का विकास करने के लिए एक दूसरे के मन में परोपकार की भावना होना आवश्यक है। भारत की महान विभूतिओं जैसे राजेन्द्र प्रसाद, महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानंद, रवीन्द्र नाथ टैगोर, डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने अपने में रहे परोपकार के गुण की वजह से राष्ट्रहित और मानव कल्याण के कई कार्य किये। बिना स्वार्थ के उन्होंने अपना सारा जीवन दूसरों के दुःख और दर्द को मिटाने के लिए समर्पित कर दिया।
प्रकृति और परोपकार | Nature and Philanthropy
ईश्वर हमें प्रकृति द्वारा जीवन के विकास के कई गुण सिखाना चाहते हैं इसलिए उन्होंने प्रकृति के कण कण में परोपकार का महत्व समझाया है। प्रकृति के सभी घटक का उनके द्वारा किया गया कर्म सदैव दूसरों के लिए होता है। जैसे कि वृक्ष के ऊपर फल तो होते है लेकिन वो हमेशा दूसरों के लिए ही है। नदियाँ मनुष्य, पशु-पक्षी, और पेड़-पौधों को जीवन देने के लिए निरंतर बहती रहती है। सूर्य हमारे जीवन का एकमात्र स्त्रोत है लेकिन वो हमेशा दूसरों को ऊर्जा देने के लिए खुद जलता है। रात में चन्द्रमा शीतलता प्रदान करने के लिए ही उदित होता है।
सोचो अगर इन सब घटक में से कोई भी एक स्वार्थी बन जाये तो हमारे जीवन का अस्तित्व क्या होगा? फिर भी ये बिना स्वार्थ के सदा अपना कार्य करते रहते हैं। हमारी भारतीय संस्कृति और प्रत्येक धर्म, व्रत हमें यह सिखाते हैं की हम सीमित साधनों में जीवन बसर करके लोगों के काम आ सकें। प्राचीन समय से परोपकार की गाथा चली आई है। परोपकार के लिए बड़े बड़े ऋषि मुनि और राजाओं ने अपने धन, संपत्ति और किसी ने तो अपने प्राण तक को भी त्याग दिए हैं।
परोपकार से लाभ | Benefits of Philanthropy
परोपकार के शारीरिक और मानसिक कई लाभ है। अगर मन से हम स्वस्थ रहेंगे तो शारीरिक पीड़ा भी कम होगी। परोपकार हमारे जीवन को प्रसन्नता से भर देता है। परोपकार हमारे हृदय और मन को शांति प्रदान करता है। जीवन को अध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाने वाला एक महत्वपूर्ण मार्ग परोपकार है। प्राचीन भारतीय ग्रंथों में भी परोपकार का काफी वर्णन किया गया है। यह पुण्य प्राप्ति का एक मात्र साधन है आचार्य चाणक्य परोपकार को लेकर कहा था कि “जिनके हृदय में हमेशा परोपकार करने की भावना रहती है, उनके समक्ष विपत्तियाँ नहीं भटकतीं” उन्हें पग-पग पर सफलता हाथ लगती है। परोपकारी व्यक्ति कर्तव्यनिष्ठता और सत्यनिष्ठा के गुणों से भरपूर होता है। परोपकार करने से एक अनोखा आत्मसंतोष मिलता है। साथ साथ समाज में मान प्रतिष्ठा भी बढ़ती है। पुरे विश्व में उसके यश और कीर्ति के गाने गाये जाते हैं।
निष्कर्ष | Conclusion
मनुष्य रूपी जीवन ईश्वर का आशीर्वाद है। इसलिए हमें अपनी शक्ति और सामर्थ्य का उपयोग लोगों की सेवा और उनके दुःख दर्द को मिटाने के लिए करना चाहिए। हमें हमारे मित्रों, परिचितों और अपरिचितों के लिए हमेशा परोपकारी की भावना दिखानी चाहिए। अपने सुनहरे और समृद्ध भविष्य के लिए अपने बच्चों को बचपन से ही परोपकार के पाठ सिखाने चाहिए। परोपकार के लिए किये गए कार्य के आनंद की तुलना किसी भी भौतिक सुख से नही की जा सकती। ज़िन्दगी की सफलता उसी में है कि हम अपना जीवन लोगों की भलाई के लिए अर्पण करें। परोपकार हमें महापुरुषों की श्रेणी में लाकर खड़ा करता है।
आख़िरी शब्द (Last word)
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