What is Museum | संग्रहालय क्या है
संग्रहालय क्या है What is Museum?
संग्रहालय (Museum) एक ऐसे स्थान को संदर्भित करता है जहाँ किसी देश के इतिहास, विज्ञान,कला, संस्कृतिऔर समृद्ध विरासत से संबंधित पुराने समय की कलाकृतियों और अन्य वस्तुओं को संग्रहीत और प्रदर्शित किया जाता है। हर देश ने अपनी समृद्ध विरासत को संग्रहालयों के रूप में संरक्षित किया है। भारत में भी बहुत सारे शानदार और विश्व प्रसिद्ध संग्रहालय हैं, जिनका वर्णन निचे किया गया है:
1. राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली-National Museum, New Delhi
यह भारत की राजधानी नई दिल्ली में स्थित है और देश का सबसे बड़ा संग्रहालय (Museum) है। इसका निर्माण 1949 में नई दिल्ली में जनपथ और मौलाना आज़ाद रोड के जंक्शन पर किया गया था। इस स्थान पर आप पूर्व-ऐतिहासिक युग के विभिन्न लेख जैसे पांडुलिपियाँ, कला, बर्तन, शिल्प वस्तुएं, मूर्तियाँ, कवच और पोशाक देख सकते हैं। इसमें मुख्य रूप से सिन्धु घटी सभ्यता और मुगल काल की कलाकृतियाँ शामिल हैं।
यहाँ आप पुराने समय में राजाओं द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली ट्रेनों के लग्जरी कोच देख सकते हैं। इसमें बौद्ध कलाकृतियों के लिए एक खंड भी है। जहाँ आप बुद्ध की मूर्ति का सिर और तीसरी शताब्दी में निर्मित गौतम बुद्ध के अवशेष देख सकते हैं। संग्रहालय का रखरखाव संस्कृति मंत्रालय, भारत विभाग द्वारा किया जाता है।
यह दो मंजिला इमारत है जिसमे विभिन्न अवधियों की कलाकृतियों के लिए स्पष्ट रूप से अलग-अलग कक्ष हैं। अब तक, इसमें भारतीय और विदेशी दोनों मूल की लगभग 200,000 कलाकृतियाँ हैं। 1983 में, इस संग्रहालय में एक अलग संप्रदाय के रूप में कला,संरक्षण और संग्रहालय के इतिहास के राष्ट्रीय संग्रहालय संस्थान की स्थापना की गई थी।
यहाँ से देखने के लिए आस पास के स्थान निम्न हैं:
- राष्ट्रपति भवन- Rashtrapati Bhavan
- राजपथ- Rajpath
- विज्ञान भवन- Vigyan Bhavan
- गाँधी स्मृति- Gandhi Smriti
- केंद्रीय सचिवालय या उद्योग भवन (निकटम मेट्रो स्टेशन)- Central Secretariat or Udyog Bhavan (nearest metro station)
समय (Timings): सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक
2. भारतीय संग्रहालय, कोलकाता-Indian Museum, Kolkata
यह भारत के पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर में स्थित है और दुनिया का नौवां सबसे पुराना संग्रहालय है। इसका निर्माण 1814 में किया गया था। तब से यह बहु-विषयक गतिविधियों के केंद्र के रूप में कार्य कर रहा है।
इसमें समकालीन कलाओं और चित्रों और बुद्ध के अवशेषों, प्राचीन मूर्तियों और मूर्तियों और मिस्र की ममी का सबसे अच्छा संग्रह है। इसके अलावा, इसमें मुगल काल के आकर्षक आभूषण, जीवाश्म, प्राचीन वस्तुएं, कंकाल, कवच और पेंटिंग भी शामिल है।
म्यूजियम आतंरिक रूप से सुव्यवस्थित है। इसे 35 दीर्घाओं में विभाजित किया गया है जो आगे छः खण्डों में विभाजित है; कला, नृविज्ञान, पुरातत्व, प्राणीशास्त्र, भूविज्ञान, और आर्थिक वनस्पति विज्ञान। इसमें आगंतुकों के लिए एक पुस्तकालय और किताबों की दुकान भी है। यह भारत के आकर्षक अतीत को देखने के लिए एक आदर्श स्थान है।
यहाँ से देखने के लिए आस पास के स्थान निम्न हैं:
- विक्टोरिया मेमोरियल- Victoria Memorial
- शहीद मीनारी- Shaheed Minar
- बिरला तारामंडल- Birla Planetarium
- सेंट जॉन चर्च- St. John Church
समय (Timings): सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक
3. सरकारी संग्रहालय चेन्नई-Government Museum, Chennai
यह भारत का दूसरा सबसे पुराना म्यूजियम है। यह तमिलनाडु के चेन्नई शहर में एग्मोर में स्थित है। यह 16.25 एकड़ के क्षेत्र में फैला है। इसे मद्रास संग्रहालय या एग्मोर संग्रहालय के नाम से भी जाना जाता है। दक्षिण एशिया में यह मुद्राशास्त्रीय (पुरानी मुद्रा के सिक्के) और पुरातात्विक संग्रह के साथ सबसे बड़ा संग्रहालय है। शेक्सपियर के नाटकों का आयोजन करने वाला विशाल संग्रहालय भी इस संग्रहालय में मौजूद है।
सरकारी संग्रहालय चेन्नई में छः स्वतंत्र भवन शामिल हैंजिनमे भूविज्ञान, प्राणीशास्त्र, वनस्पति विज्ञान, नृविज्ञान, पुरातत्व, कला और अधिक जैसे विभिन्न वर्गों के तहत 46 दीर्घाएं हैं। इनमें से ज्यादातर इमारतें 100 साल से भी ज्यादा पुरानी हैं। संग्रहालय में एक सार्वजनिक पुस्तकालय भी है जिसे कोनेमारा पब्लिक लाइब्रेरी भी कहा जाता है।
इसे 19वीं सदी के अंत में बनाया गया था। इस संग्रहालय के कुछ प्रसिद्ध पूर्व-ऐतिहासिक संग्रहों में राजा रवि वर्मा की पेंटिंग, ताड़ के पत्ते की पांडुलिपियाँ और रोमन कलाकृतियाँ शामिल हैं। यूरोप के बाहर, इसके पास दुनिया में रोमन प्राचीन वस्तुओं का सबसे बड़ा संग्रह है। यह एक प्रतिष्ठित संरचना है जिसका निर्माण इंडो-गाथिक शैली में किया गया था। भारत और रोम के गौरवशाली अतीत को देखने के लिए एक दिन में लगभग 1000आगंतुक यहाँ आते हैं।
यहाँ से देखने के लिए आस पास के स्थान निम्न हैं:
- श्री राधा कृष्णा मंदिर- Sri Radha Krishna Temple
- श्री कंदस्वामी मंदिर, चेन्नई- Sri Kandaswamy Temple, Chennai
- सेम्मोझी पोंगा (बोटैनिकल गार्डन)- Semmozhi Poonga (Botanical Garden)
- विजय युद्ध स्मारक, चेन्नई- Victory War Memorial, Chennai
- मरीना बीच, चेन्नई- Marina Beach, Chennai
समय (Timings): सुबह 09:00 बजे से शाम 05:00 तक
4. रेल संग्रहालय, दिल्ली- Rail Museum, Delhi
यह नई दिल्ली के चाणक्यपुरी इलाके में स्थित है। इसने भारत की 163 साल पुरानी रेलवे विरासत को संरक्षित किया है। इसे राष्ट्रीय रेलवे संग्रहालय के रूप में भी जाना जाता है।
यह संग्रहालय 10 एकड़ की भूमि पर बनाया गया है जिसमे कुछ उत्कृष्ट रेलवे संग्रहणीय वस्तुएं हैं। यह 1 फरवरी 1977 को स्थापित किया गया था। अब तक, इसमें भारतीय रेलवे के लगभग 100 वास्तविक प्रदर्शनों का संग्रह है, कुछ काम कर रहें हैं, कुछ स्थिर हैं, जिनमें स्थिर प्राचीन वस्तुएं और फर्नीचर, सिग्नलिंग उपकरण, पुरानी तस्वीरें और बहुत कुछ शामिल हैं।
एक विशाल आउटडोर में प्रसिद्ध “फेयरी क्वीन” है जो काम करने की स्थिति में सबसे पुराना स्टीम लोकोमोटिव है। आगंतुकों को जानकारी प्रदान करने के लिए प्रत्येक प्रदर्शन के बगल में एक सूचना तालिका भी प्रदान की जाती है। यह भारतीय रेल इतिहास को जानने और पता लगाने के लिए सबसे अच्छी जगह है।
इसमें एक बड़ा सभागार भी है जहाँ लगभग 200 व्यक्ति आराम से बैठ सकते हैं। इसका उपयोग कार्यशालाओं, स्क्रीन वृत्तचित्रों आदि के आयोजन के लिए किया जाता है। आगंतुकों के लिए स्मृति चिन्ह खरीदने के लिए एक स्मारिका की दुकान भी है।
यहाँ से देखने के लिए आस पास के स्थान निम्न हैं:
- राष्ट्रपति भवन- Rashtrapati Bhavan
- लोदी गार्डन- Lodi Garden’s
- सफदरजंग मकबरा- Safdarjung’s Tomb
- राष्ट्रीय संग्रहालय नई दिल्ली- National Museum New Delhi
समय (Timings): सुबह 09:३० बजे से शाम 05:३० बजे तक
5. अल्बर्ट हॉल संग्रहालय, जयपुर-Albert Hall Museum, Jaipur-Rajasthan
यह भारत के राजस्थान के जयपुर शहर में राम निवास उद्यान में स्थित है। यह राजस्थान राज्य का सबसे पुराना संग्रहालय है और इसे सरकारी केंद्रीय संग्रहालय के रूप में भी जाना जाता है।
यह संग्रहालय (Museum) 1876 में बनाया गया था। इसकी वास्तुकला लंदन में विक्टोरिया और अल्बर्ट हॉल संग्रहालय के समान है, इसलिए इसे यह नाम मिला। इसकी वास्तुकला भी इंडो-सरसेनिक वास्तुकला पर आधारित है जैसे कि गुंबद और नक्काशीदार मेहराब जो इसे बाहर से बहुत आकर्षक बनाते हैं।
इस अल्बर्ट हॉल संग्रहालय में 16 कला दीर्घाएँ हैं जिनमे विभिन्न प्रकार की कलाकृतियाँ हैं जिन्हें दुनिया के विभिन्न हिस्सों से एकत्र करके यहाँ लाया गया है। क्ले आर्ट और ज्वैलरी गैलरी में 19वीं सदी की वस्तुओं का संग्रह है। इसके अलावा आप संग्रहालय में प्राचीन सिक्के, मिटटी के बर्तन, संगमरमर की कला, कालीन, प्राचीन संगीत वाद्ययंत्र, हथियार, कवच और मिस्र की ममी देख सकते हैं।
शाम होते ही सूर्यास्त के बाद पूरा संग्रहालय पीली रोशनी से जगमगा उठता है।आप यहाँ अल्बर्ट हॉल की आश्चर्यजनक पृष्ठभूमि के साथ बगीचे में समय बिता सकते हैं।
यहाँ से आसपास के पर्यटक आकर्षण निम्न हैं:
- जंतरमंतर-Jantar Mantar
- जल महल-Jal Mahal
- हवा महल-Hawa Mahal
- नाहरगढ़ किला-Nahargarh Fort
- जयगढ़ किला-Jaigarh Fort
- अम्बर किला-Amber Fort
समय (Timings): सुबह 09:00 बजे से शाम 05:00 बजे तक
6. केलिको वस्त्र संग्रहालय, अहमदाबाद-Calico Textile Museum, Ahmedabad
केलिको टेक्सटाइल संग्रहालय साराभाई फाउंडेशन के तत्वावधानमें भारत का एक प्रतिष्ठित वस्त्र संग्रहालय है। इसकी स्थापना गौतम साराभाई और उनकी बहन गिरा साराभाई ने 1949 में की थी। हालाँकि इसका उद्घाटन उसी वर्ष भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने किया था।
इसमें दुनिया में प्राचीन और समकालीन भारतीय वस्त्रों का बेहतरीन संग्रह है जिसमें प्राचीन वस्त्र, कलमकारी प्रिंट, पिचवाई, शाही साड़ी, कालीन, तम्बू, टाई और डाई इत्यादि शामिल हैं। वस्त्रों के अलावा इसमें जैन का संग्रह भी है कला वस्तुएं, दक्षिण भारतीय कांस्य कला का संग्रह, लघु चित्र, और मंदिर के पर्दे।
संग्रहालय में विभिन्न दीर्घाएँ (galleries) हैं। उदहारण के लिए, ऐतिहासिक कपड़ा गैलरी मुग़ल कालीन हथियार, होलोग्राफ के साथ ताड़ के पत्ते, कल्पसूत्र कपड़े, मुगलों द्वारा उपयोग किए जाने वाले दरबार के वस्त्र आदि प्रदर्शित करती है।
इस म्यूजियम के मुख्य आकर्षण कश्मीरी शाल हैं जो लगभग तीन वर्षों के समय में बनाये गये थे, और डबल इकात, जो एक लाख धागों से बना एक कपड़ा है जहाँ प्रत्येक धागे को कपड़ा बनाने से पहले व्यक्तिगत रूप से रंगा गया था।
घुमने के लिए आस-पास के स्थान निम्न हैं:
- हुथीसिंग जैन मंदिर-Hutheesing Jain Temple
- साबरमती आश्रम- Sabarmati Asharam
- भद्रा किला- Bhadra Fort
- अहमद शाह का मकबरा- Tomb of Ahmed Shah
- कांकरिया झील और चिड़ियाघर- Kankaria Lake and Zoo
समय (Timings): सुबह 10:30 बजे से दोपहर 01:00 तक
7. अन्तराष्ट्रीय गुड़िया संग्रहालय, दिल्ली-International Doll Museum, Delhi
यह बच्चों के बुक ट्रस्ट बिल्डिंग में बहादुर शाह ज़फर मार्ग, नई दिल्ली में स्थित है। यह बच्चों के लिए विभिन्न प्रकार की गुड़ियों के बीच समय बिताने के लिए एक आदर्श स्वप्नभूमि है। इंटरनेशनल डॉल म्यूजियम 1965 में स्थापित किया गया था। यह 5184 वर्ग फुट में फैला हुआ है और इसे देश का सबसे बड़ा डॉल म्यूजियम माना जाता है।
प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट के. शंकर पिल्लई ने इस म्यूजियम की अवधारणा दी थी, इसलिए उनके सम्मान में इसका नाम रखा गया है। आज इसमें 85 देशों से 6000 से अधिक प्रदर्शनियां यहाँ लाई गई हैं।
ये म्यूजियम दो भागों में बना है। एक भाग में यूरोप, आस्ट्रेलिया, यू. एस. और न्यूज़ीलैण्ड के संग्रह हैं। दूसरा हिस्सा भारत सहित एशियाई देशों से एकत्रित प्रदर्शनियों के लिए बनाया गया है। भारतीय वेशभूषा में सजी भारत की गलभग 500 गुड़िया हैं जो देश के विभिन्न हिस्सों में पहनी जाती हैं। यहाँ एक कार्यशाला भी बनाई गई है जहाँ आगंतुक गुड़िया बनाने की कला देख और सीख सकते हैं। यह बच्चों के लिए एक दिन के लिए सबसे अच्छी जगह है, जहाँ वे एक ही स्थान पर गुड़ियों का एक बड़ा संग्रह देख सकते हैं।
घुमने के लिए आस-पास के स्थान निम्न हैं:
- टैगोर हॉल-Tagore Hall
- राष्ट्रीय गाँधी संग्रहालय- National Gandhi Museum
- फिरोज़ शाह कोटला किला- Feroz Shah Kotla Fort
- गुरुद्वारा बंगला साहिब- Gurudwara Bangla Sahib
समय (Timings): सुबह 10:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक
8. प्रिन्स ऑफ़ वेल्स संग्रहालय, मुंबई-Prince of Wales Museum, Mumbai
ये म्यूजियम, महाराष्ट्र के मुंबई शहर में स्थित है और यह शहर की विरासत इमारतों में से एक है। अब तक इसे “छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय” के नाम से जाना जाता है। इसकी नींव 11 नवम्बर 1905 को प्रिंस ऑफ़ वेल्स ने रखी थी। बाद में 10 जनवरी 1922 को इसे एक संग्रहालय के रूप में स्थापित किया गया। संग्रहालय की वास्तुकला मुगल, भारतीय और ब्रिटिश वास्तुकला शैलियों का मिश्रण है। भारत सरकार ने इसे ग्रेट हेरिटेज बिल्डिंग के रूप में मान्यता दी है और इसका रखरखाव इंडियन हेरिटेज सोसाइटी के अधीन है।
संग्रहालय में भारत के इतिहास से संबंधित अतीत की लगभग 50,000 उत्कृष्ट कलाकृतियाँ, मूर्तियाँ, लघु चित्र, चीन और जापान की प्राचीन वस्तुएँ, धातु, लकड़ी, जेड, हाथीदांत, और बहुत कुछ से बनी सजावटी कलाकृतियाँ हैं।
म्यूजियम में विभिन्न खंड हैं। “प्राकृतिक इतिहास” नामक खंड में पक्षियों, सरीसृपों, स्तनधारियों, उभयचरों का संग्रह है। संग्रहालय के एक भाग में यूरोपीय तेल चित्र हैं, और एक खंड में अतीत के भारतीय राजाओं के हथियार और कवच हैं। इसके अलावा 2008 में नवीनीकरण परियोजनाके बाद संग्रहालय में कई नई दीर्घाओं को जोड़ा गया है। इन दीर्घाओं में भगवान कृष्ण की कलाकृतियाँ, पारंपरिक वेशभूषा और वस्त्र उत्पाद शामिल हैं।
घूमने के लिए आस-पास के स्थान निम्न हैं:
- जहांगीर आर्ट गैलरी- Jehangir Art Gallery
- राजाबाई क्लॉक टावर- Rajabai Clock
- बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी- Bombay Natural History Society
- मुंबई की एशियाटिक सोसाइटी- Asiatic Society of Mumbai
समय (Timings): सुबह 10:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक
9. सिटी पैलेस संग्रहालय, जयपुर-City Palace Museum, Jaipur
सिटी पैलेस म्यूजियम जयपुर, राजस्थान में सिटी पैलेस का एक हिस्सा है। इसे महाराजा सवाई मन सिंह II संग्रहालय के नाम से भी जाना जाता है। इसे महाराजा सवाई जय सिंह ने 17वीं सदी में (1729 और 1732) के बीच बनवाया था। म्यूजियम के अलावा, भवन पैलेस में उद्यान, प्रांगण, भवन आदि भी हैं।
यह सिटी पैलेस के दीवान ए आम पब्लिक हॉल में स्थित है। संग्रहालय में मुग़ल, राजस्थानी और फारसी लघु चित्रों को भी रखा गया है।
सिटी पैलेस संग्रहालय में चांदी के दो बड़े बर्तन भी हैं जिन्हें दुनिया का सबसे बड़ा बर्तन माना जाता है। ये बर्तन राजा सवाई माधो सिंह द्वितीय के है जिन्होंने इन बर्तनों (vessels) का इस्तेमाल गंगाजल पीने के लिए किया था।
कवच, हथियार, युद्ध उपकरण आदि का संग्रह भी इस संग्रहालय का मुख्य आकर्षण हैं। इसके पास भारत में पुराने हथियारों का सबसे बड़ा संग्रह है। मुबारक महल भी इस संग्रहालय का एक हिस्सा है जिसमे पुराने शॉल और शाही परिधानों का संग्रह है।
घूमने के लिए आस-पास के स्थान निम्न हैं:
- हाथी पोल- Hathi Pole
- फ़तेह सागर झील में स्पीड बोटिंग- Speed Boating at Sagar Lake
- तिब्बती बाज़ार- Tibetan Market
समय (Timings): सुबह 9:30 बजे से शाम 5:00 बजे तक
10. नेपियर संग्रहालय, तिरुवनंतपुरम-Napier Museum, Thiruvananthapuram
यह केरल के त्रिवेन्द्रम शहर में संग्रहालय के परिसर में स्थित है। यह अपने ज्यामितीय निर्माण के लिए प्रसिद्ध है और उस समय मद्रास के गवर्नर-जनरल लार्ड नेपियर के नाम पर इसका नाम रखा गया था।1872 में, लार्ड नेपियर ने रोबर्ट फेलोस चिशोल्म को इस इमारत को बनाने का कम सौंपा।
नेपियर संग्रहालय में 8वीं से 18वीं शताब्दी की प्राचीन कलाकृतियों, चोल, विजयनगर, चेरा और नाइक शैलियों की धनु की मूर्तियों का एक बड़ा संग्रह है। इसके अलावा, लकड़ी की मूर्तियों और नक्काशी या नक्काशी का संग्रह, विभिन्न शैलियों की दक्षिण भारतीय पत्थर की मूर्तियाँ, प्राचीन हाथीदांत की वस्तुएं और प्राचीन संगीत वाद्ययंत्रोंकी एक विस्तृत शृंखला भी इस संग्रहालय के शानदार संग्रह का हिस्सा है।
संग्रहालय में राजा रवि वर्मा, नोकोलस रोरिक (एक रुसी थियोसोफिस्ट) जैसे प्रसिद्ध कलाकारों का काम भी शामिल है। यह इतिहास प्रेमियों और केरल की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को देखने के इच्छुक छात्रों के लिए एक आदर्श स्थान है।
घूमने के लिए आस-पास के स्थान निम्न हैं:
- तिरुवनंतपुरमचिड़ियाघर-Thiruvananthapuram Zoo
- श्री चित्रा आर्ट गैलरी- Shri Chitra Art Gallery
- कनक कुन्नू पैलेस-Kanakakunnu Palace
समय (Timings) : सुबह 10:00 से शाम 5:00 तक
11. बिरला औद्योगिक और तकनीकी संग्रहालय, कोलकाता-Birla Industrial and Technological Museum, Kolkata
बिरला औद्योगिक और तकनीकी म्यूजियम भारत का पहला औद्योगिक और वैज्ञानिक संग्रहालय है, जो कोलकाता के गुरुसाडे रोड पर स्थित है। 2 मई 1959 को स्थापित इसका प्रबंधन राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद द्वारा किया जाता है।
पूर्व में, यह बिड़ला पार्क था जिसे अपनी स्थापना के कुछ वर्षों बाद एक संग्रहालय में बदल किया गया था। ये थे डॉ. बी.सी. रॉय, जिन्होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने एवं विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास को उपयुक्त तरीके से चित्रित करने के लिए बिड़ला पार्क को एक संग्रहालय में बदलने के बारे में सोंचा था। यह पहियों पर मोबाइल विज्ञान प्रदर्शनी आयोजित करने वाला, पहला है।
संग्रहालय में विज्ञान और औद्योगिक प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाली लगभग 13 दीर्घाएं हैं। प्रमुख दीर्घाओं के नाम आकर्षक भौतिकी, बिजली, जीव विज्ञान, परिवहन गैलरी, प्रेरक शक्ति, गणित, कोयले की खान और बच्चों की गैलरी, अंधेरें में दुनिया आदि हैं।
तरल नाइट्रोजन शो, कोयले की खदान का भूमिका मॉक-अप इस संग्रहालय के कुछ मुख्य आकर्षण हैं। संग्रहालय विभिन्न शैक्षणिक गतिविधियों जैसे स्काई ऑब्जरवेशन, साइंस शो, क्रिएटिव एबिलिटी सेंटर, लोकप्रिय व्याख्यान का भी आयोंजन करता है। यह इंजीनियरिंग मेला, विज्ञान मेला, विज्ञान आधारित प्रतियोगिता, विज्ञान संगोष्ठी, प्रश्नोत्तरी विजय, विज्ञान फिल्म समारोह आदि जैसे विभिन्न कार्यक्रमों का भी आयोजन करता है।
घूमने के लिए आस-पास के स्थान निम्न हैं:
- श्री आर्ट गैलरी- Shree Art gallery
- सीआईएमए आर्ट गैलरी- CIMA art gallery
- जयरामबती मठ- Jairambati Math
- फोरम कोर्टयार्ड मॉल- Forum Courtyard Mall
- गरियाहाट मॉल- Gariahat Mall
- रविन्द्र सदन मेट्रो स्टेशन (निकटम मेट्रो स्टेशन)- Rabindra Sadan Metro Station(nearest metro station)
समय (Timings): सुबह 10:00 से शाम 5:30 बजे तक
12. जहांगीर आर्ट गैलरी, मुंबई-Jehangir Art Gallery, Mubai
यह दक्षिणी मुंबई के कालाघोड़ा में स्थित है। यह कलाकारों को अपने काम को प्रदर्शित करने या प्रदर्शित के लिए एक मच प्रदान करता है। कला दीर्घा (Art Gallery) की स्थापना 1952 में कोवासजी जहांगीर द्वारा उपलब्ध कराए गये धन से की गयी थी। इसका नाम कोवासजी जहांगीर के पुत्र जहांगीर के नाम पर रखा गया है।
इसमें एस एच रज़ा, के के हेब्बार और एम ऍफ़ जैसे प्रसिद्ध कलाकारों के काम का प्रदर्शन किया गया है। हुसैन पहले, यह एक विशाल हवेली के रूप में था, अब इसमें चल हॉल हैं जिनमें प्रदर्शनी गैलरी, ऑडिटोरियम हॉल, टेरेस आर्ट गैलरी और हिरजी जहांगीर गैलरी शामिल हैं।
यह एक साल में लगभग 300 शो आयोजित करता है।जिन कलाकारों को गैलरी में अपने काम का प्रदर्शन करने का अवसर नही मिलता है, वे गैलरी के बाहर फूटपाथ पर प्रदर्शन कर सकते हैं। इस आर्ट गैलरी को डिज़ाइन करने वाली मुख्य डिज़ाइनर दुर्गा बाजपेई थीं। इसके अलावा 1975 में इसके परिसर में एक पुस्तकालय की स्थापना की गयी थी। बाद में गैलरी में पुस्तकों और अन्य कलाओं और लेखन के पुनरुत्पादन को प्रदर्शित करने के लिए एक प्रिंटिंग रूम भी बनाया गया था।
घूमने के लिए आस-पास के स्थान निम्न हैं:
- छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय-Chhatrapati Shivaji Maharaj Vastu Sangrahalaya
- फ्लोर फाउंटेन-Flora Fountain
- डेविड ससून पुस्तकालय और वाचनालय-David Sassoon Library and Reading Room
- गेटवे ऑफ़ इंडिया-Gateway of India
- बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी-Bmbay Natural History Society
समय (Timings): सुबह 11:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक।
13. एचएएल एयरोस्पेस संग्रहालय-HAL Aerospace Museum, Bangalore
यह हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड में ओल्ड एयरपोर्ट रोड पर स्थित है, जो 4 एकड़ भूमि में फैला हुआ है। यह 2001 में स्थापित किया गया था और माना जाता है कि यह भारत का पहला एयरोस्पेस संग्रहालय है। इसका पप्रबंधन और रखरखाव एचएएल द्वारा किया जाता है, जो भारत की जो भारत की एक प्रमुख एयरोस्पेस कंपनी है।
इसके दो प्रमुख खंड यानि भाग हैं। पहला भाग 1940 के बाद से विमानों के विकास को दर्शाता है। दूसरा खंड या हॉल वास्तविक एयरो इंजन के मॉडल दिखता है। आप एयरक्राफ्ट इंजन मॉडल, फ्लाइट सिमुलेटर, एटीसी रडार, एयर ट्रैफिक कंट्रोल टावर की प्रतिकृति, और बहुत कुछ देख सकते हैं।
इसमें एक स्थिरता विकास पार्क भी है जहाँ आपको सौर ऊर्जा और इसके उपयोग, टरबाइन कैसे बिजली उत्पन्न करते हैं, और बायोगैस कैसे उत्पन्न होता है और इसके उपयोग के बारे में पता चलता है। इसके अलावा, इसमें एक हर्बल गार्डन, स्मारिका की दुकान और बच्चों के लिए एक खेल क्षेत्र भी है।
घूमने के लिए आस-पास के स्थान निम्न हैं:
- जवाहरलाल नेहरू तारामंडल-Jawaharlal Nehru Planetarium
- लुंबिनी गार्डन-Lumbini Gardens
- सूर्य नारायण मंदिर-Surya Narayan Temple
- सेंट मैरी बेसिलिका-St. Mary’s Basilica
- इनोवेटिव फिल्म सिटी- Innovative film city
समय (Timings): सुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 तक
14. विंटेज और क्लासिक कार संग्रहालय, उदयपुर-Vintage and Classic Car Museum, Udaipur
यह राजस्थान के उदयपुर में गुलाब बाग रोड पर गुलाब बाग चिड़ियाघर के पास स्थित है। इसकी स्थापना 15 फ़रवरी 2000 को ब्यूलियू के लार्ड मोंतागु ने की थी। इस संग्रहालय के मालिक राणा श्री अरविन्द सिंह जी मेवाड़ हैं। पूर्व मेवाड़ स्टेट मोटर गैराज भी इस कार संग्रहालय का एक हिस्सा है।
इसमें उदयपुर के शासकों द्वारा उपयोग की जाने वाली प्राचीन कारों का एक बड़ा संग्रह है। इन करों में फोर रोल्स-रोयस, 12 मर्सिडीज, 1939 की केडिलैक, 1936 की वॉक्सहॉल-12, एमजी-टीसी , फोर्ड-ए कनवर्टिबल, और बहुत कुछ शामिल हैं। करों के अलावां यहाँ आप सौर ऊर्जा से चलने वाले रिक्शा, मोटर गैरेज, शेल पेट्रोल पंप आदि देख सकते हैं।
इस संग्रहालय के बारे में कुछ रोचक तथ्य इस प्रकार हैं:
- 1934 में संग्रहालय अभिजात वर्ग की करों में से एक रोल्स रोयस का उपयोग ओक्टोपुसी नामक जेम्स बांड फिल्म में किया गया था।
- 1961 में जब ब्रिटिश महारानी एलिज़ाबेथ भारत में थीं, केडिलैक कनवर्टिबल का इस्तेमाल उन्हें हवाई अड्डे पर एस्कॉर्ट करने के लिए किया गया था।
- 2008में इस संग्रहालय के 1924 रोल्स रोयस 20H.P को “बेस्ट ऑफ़ क्लास केटेगरी, विंटेज क्लासिक इन द कार्टियर ट्रेवल विद स्टाइल कॉनकोर्स” घोषित किया गया था।
घूमने के लिए आस-पास के स्थान निम्न हैं:
- लेक पैलेस (जग निवास)-Lake Palace (Jag Niwas)
- सिटी पैलेस-City Palace
- पिछोला झील-Lake Pichola
- सहेलियों की बारी -Saheliyon ki Bari (Garden of Maidens)
समय (Timings): सुबह 9:00 बजे से शाम9:00 बजे तक।
15. शिल्प संग्रहालय-Crafts Museum, Delhi
यह नईं दिल्ली के प्रगति मैदान में स्थित है। प्रसिद्ध वास्तुकार चार्ल्स कोरिया ने इस संग्रहालय को डिज़ाइन किया है। अब तक यह कपड़ा मंत्रालय, भारत सरकार के तत्वावधान में है। इसे राष्ट्रीय शिल्प संग्रहालय और हस्तकला अकाडमी के नाम से भी जाना जाता है।
यह हस्तशिल्प कपड़ा और स्थानीय सजावट से संबंधित वस्तुओं और कलाकृतियों को प्रदर्शित करने के लिए बनाया गया हैं। इसका उद्देश्य स्थानीय हस्तशिल्प की परंपरा को पुनर्जीवित करना है। इस संग्रहालय में आप पिछले 60 वर्षों के दौरान भारत के विभिन्न राज्यों से एकत्र किए गये विभिन्न प्रकार के शिल्पों के 33000 से अधिक संग्रह पा सकते हैं। इसके संग्रह में कांस्य और धातु के लैंप, संपूर्ण वस्त्र और कपड़े, लकड़ी की नक्काशी, मूर्तियाँ, बांस शिल्प, आदिवासी पेंटिंग आदि शामिल हैं।
अन्य संग्रहालयों की तरह इसमें भी अलग दीर्घाएं (separate galleries) हैं। सबसे अधिक देखी जाने वाली दीर्घाओं में जनजातीय और ग्रामीण शिल्प गैलरी, कपड़ा गैलरी, दरबारी शिल्प की गैलरी और लोकप्रिय संस्कृति गैलरी शामिल हैं। इसके अलावा, इसके ग्राम परिसर में ग्रामीण भारत के जीवन को दर्शाने वाली प्रदर्शनी हैं। इसका मुख्य आकर्षण कर्नाटक का 300 साल पुराना भूत संग्रह है। इसके परिसर में एक पुस्तकालय, एक सभागार, एक प्रयोगशाला और एक शोध केंद्र भी बनाया गया है। इसमें आगंतुकों के लिए शिल्प उत्पाद, किताबें आदि खरीदने के लिए एक लोटा की दुकान भी है।
घूमने के लिए आस-पास के स्थान निम्न हैं:
- राष्ट्रीय विज्ञानं केंद्र-National Science Centre
- बच्चों का पार्क-Children’s Park
- प्रगति मैदान-Pragati Maidan
- पुराना किला-Purana Qila
- आधुनिक कला की राष्ट्रीय गैलरी-National Gallery of Modern Art
समय (Timings): सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक।
16. दक्षिणचित्र संग्रहालय-Dakshinachitra Museum, Chennai
दक्षिणचित्र संग्रहालय तमिलनाडु के चेन्नई शहर में स्थित है। यह एक रोमांचक जगह है जहाँ दक्षिण भारत की कला, जीवन शैली, वास्तुकला, शिल्प और प्रदर्शन कलाएं हैं। इस संग्रहालय की स्थापना का उद्देश्य राज्य की संस्कृतियों को सहभागी और आकर्षक तरीक़े से संरक्षित करना, बढ़ावा देना और प्रदर्शित करना है। दक्षिणचित्र संग्रहालय, जो 10 एकड़ म फैला है, 1996 में स्थापित किया गया था और इसका रखरखव मद्रास क्राफ्ट फाउंडेशन द्वारा किया जाता है।
इसे एक गांव के रूप में विकसित किया गया है जो दक्षिण भारत के लोगों की पारंपरिक जीवन शैली को प्रदर्शित करता है। इसमें 18 वास्तविक घरों का संग्रह है जिन्हें ख़रीदा गया, तोडा गया और फिर यहाँ लाया गया और उसी स्थान से किराए पर लिए गये कारीगरों द्वारा पुनर्निर्मित किया गया जहाँ से ये घर लाए गये थे।
इसके अलावा इसमें 4,000से अधिक कलाकृतियों और प्राचीन कल की जिएँ शैली को दर्शाने वाले 1,000,000चित्रों का संग्रह है। यह 900 से अधिक प्रकार के दक्षिण भारतीय परिधानों को भी प्रदर्शित करता है। यहाँ आप दक्षिण भारत की समृद्ध विरासत के बार में गहराई से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
यहाँ से घुमने के लिए आस-पास के स्थान निम्न हैं:
- वीजीपी यूनिवर्सल किंगडम-VGP Universal Kingdom
- ब्रीजी बीच-Breezy Beach, Chennai
- चोलामंडल कलाकारों का गांव-Cholamandal Artists’ Village
- गोल्डन बीच-Golden Beach, Chennai
- बेसेंट नगर बीच (एलियट्स बीच)-Besant nagar Beach (Eliot’s beach)
समय (Timigs): सुबह 10:00 से शाम 6:00 तक।
17. सारनाथ संग्रहालय, वाराणसी-Sarnath Museum, Varanasi
सारनाथ म्यूजियम सारनाथ, वाराणसी में स्थित है। इसकी स्थापना 1910 में खुदाई की कलाकृतियों और प्राचीन वस्तुओं को संरक्षित और प्रदर्शित करने के लिए की गई थी। इसमें तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से 12वीं शताब्दी ईस्वी तक बौद्ध कला और पुराने समय की अन्य प्राचीन कलाकृतियों के बेहतरीन चित्रों का संग्रह है। संग्रहालय में पाँच दीर्घाएं और दो बरामदे हैं।
हजारों आगंतुकों को आकर्षित करने वाले संग्रहालय का मुख्य आकर्षण गैलरी के मध्य में स्थित मौर्य स्तंभ की शेर राजधानी है। यह 2.31 मीटर की ऊंचाईपर खड़ा है और इसे भारत के राष्ट्रीय प्रतीकों में से एक के रूप में अपनाया गया है। मुख्य हॉल में आगंतुक विभिन्न मुद्राओं में बुद्ध की छवियों को देख सकते हैं। इस संग्रहालय में ध्यान मुद्रा में 5वीं शताब्दी की भगवान बुद्ध की मूर्ति भी देखी जा सकती है।
इसके अलावा लाल बलुआ पत्थर बोधिसत्व चित्रा भी बहुत आकर्षक हैं। संग्रहालय के अंदर बौद्ध कलाकृतियाँ भी बहुत मनोरम हैं। कुषाण, मौर्य और गुप्त काल के आंकड़े और मूर्तियाँ और कुमारदेवी और रामग्राम स्तूप के शिलालेख भी संग्रहालय में देखे जा सकते हैं। सारनाथ की ऐतिहासिक विरासत को देखने के लिए यह सारनाथ के सबसे अच्छे स्थानों में से एक है।
घूमने के लिए सास-पास के स्थान निम्न हैं:
- सारनाथ चिड़ियाघर-Sarnath Zoo
- बुद्धफव्वारा-Buddha Fountain
- तिब्बती मंदिर-Tibetan Temple
- चौखंडी स्तूप-Chaukhandi Stupa
- होरिंजी मंदिर-Horinji Temble
समय (Timings): सुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक।
18. चित्रा संग्रहालय, गोवा-Chitra Museum, Goa
चित्रा म्यूजियम बेनाउलिम, गोवा में स्थित है। यह एक पेशेवर कलाकार और पुनर्स्थापक विक्टर ह्यूगो गोम्स द्वारा स्थापित किया गया था। इसका उद्देश्य राज्य से पारंपरिक वस्तुओं और संग्रहणीय वस्तुओं को संरक्षित करना है। यह प्रदर्शित करने के लिए 4,000 से अधिक कला वस्तुओं और कलाकृतियों को रखता है जिसमे प्राचीन उपकरण, कृषि उपकरण, पारंपरिक कला वस्तुएं, जहाज और बहुत कुछ शामिल हैं।
प्रदर्शन पर प्रत्येक कलाकृति समुदाय के वरिष्ठों के साक्षात्कार लेने और दैनिक जीवन में इसके आवेदन का अध्ययन करके एकत्र की गई जानकारी द्वारा प्रदान की जाती है।
यह एक नृवंशविज्ञान संग्रहालय है जिसका अर्थ है कि यह सभ्यताओं को दर्शाता है कि वे तकनीकी रूप से उन्नत हैं या नही। ऐसे संग्रहालयों में लोगों की जीवन शैली, उनकी कला और संस्कृति, शिल्प कौशल आदि पर जोर दिया जाता है। यह पश्चिमी घाट के साथ जैविक खेतों को भी प्रदर्शित करता है।
आस-पास के आकर्षण निम्न हैं:
- उटोर्डा बीच-Utorda Beach
- वरका बीच-Varca Beach
- सूर्यास्त बीच-Sunset Beach
- सेंट जॉन द बैपटिस्ट चर्च-Church of St. John the Baptist
समय (Timings): 9:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक।
19. पटना संग्रहालय-Patna Museum, Patna
यह पटना, बिहार में स्थित है। इसे स्थानीय लोगों के बीच जादू घर के नाम से भी जाना जाता है। पटना संग्रहालय में पुराने समय की 50,000 से अधिक दुर्लभ कलाकृतियाँ हैं। पटना संग्रहालय का निर्माण 1917 में भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान पटना में मिली कलाकृतियों को रखने के लिए किया गया था। यह भारतीय इतिहास और इसकी सुन्दरता को याद करने के लिए एक आदर्श स्थान है।
इसकी वास्तुकला मुगल और राजपूत शैली की वास्तुकला पर आधारित है। अन्य संग्रहालयों की तरह, इसमें भी अतीत की उत्कृष्ट कृतियों को रखने के लिए कई दीर्घाएं हैं।संग्रहालय के मुख्य आकर्षणों में विभिन्न आकर्षण शामिल हैं। जैसे पवित्र अवशेष कास्केट जिसमे भगवान बुद्ध की राख और यक्षिणी की एक सुन्दर मूर्ति है। इसके अलावा इसमें बौद्ध और हिन्दू कलाकारों द्वारा बनाई गई कला वस्तुएं, यंत्र, कांस्य मूर्तियाँ, वस्त्र, धन्यवाद, और टेराकोटा छवियों जैसी कई पुरातात्विक वस्तुएं हैं।
संग्रहालय का एक और मुख्य आकर्षण भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान लोनों की दैनिक दिनचर्या के चित्रों का एक दुर्लभ संग्रह है और डॉ. राजेंद्र प्रसाद (भारत के पहले राष्ट्रपति) से संबंधित एक संग्रह है, और एक तोप जिसका इस्तेमाल प्रथम विश्व युद्ध में किया गया है।
आस-पास के आकर्षण निम्न हैं:
- बुद्ध स्मृति उद्यान-Buddha Smriti
- लोक कला संग्रहालय-Folk Art Museum
- गोलघर, बिहार-Golghar, Bihar
- गाँधी संग्रहालय -Gandhi Sangrahalay
- महावीर मंदिर-Mahavir Temple
समय (Timings): सुबह 10:30 बजे से शाम 4:30 बजे तक।
20. सालार जंग संग्रहालय, हैदराबाद-Salar Jung Museum, Hyderabad
यह हैदराबाद के मुसी नदी के दक्षिणी तट पर दार-उल-शिफा में सालार जंग रोड पर स्थित है। इसका उद्घाटन 16 दिसंबर 1951 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा किया गया था। यह भारत का तीसरा सबसे बड़ा संग्रहालय है।
सालार जंग म्यूजियम 10 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है और इसमें अर्ध-गोलाकार आकार है। म्यूजियम में 38 दीर्घाएँ हैं जो दो मंजिलों में विभाजित हैं। इसकी तीन अलग-अलग इमारतें हैं जो पूर्वी ब्लॉक या मीर लाइक अली खान भवन, पश्चिमी ब्लॉक या मीर तुराब अली खान भवन और भारतीय या केंद्रीय ब्लॉक हैं।म्यूजियम के एनी वर्गों में एक शिक्षा विंग, एक प्रदर्शन अनुभाग और एक रासायनिक संरक्षण प्रयोगशाला शामिल है।
इसमें विभिन्न देशों और युगों से कलाकृतियों, चित्रों और नक्काशी आदि का संग्रह है। 19वीं सदी की ब्रिटिश म्यूजिकल क्लॉक इस जगह की मुख्य विशेषताओं मे से एक है। इसे इंगलैंड के केल्वे और कुक ने बेचा था। अन्य आकर्षण हैं वील्ड रेबेका, एक संगमरमर की मूर्ति, जहांगीर का एक खंजर, नूरजहाँ का एक फल चाकू, और हाथीदांत कुर्सियों का एक से जो फ्रांस के राजा लुई सोलहवें द्वारा मैसूर के टीपू सुल्तान को उपहार में दिया गया था।
- आस-पास के आकर्षण निम्न हैं:
- चारमीनार-Charminar
- निज़ाम संग्रहालय-Nizam Museum
- धरती माता मंदिरDharti Mata Temple
- चौमहल्ला पैलेसवी-Chowmahalla Palace
समय (Timings): शुक्रवार को छोड़ कर सभी दिनों में सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक।
21. द्वीप संग्रहालय, हैदराबाद-Island Museum, Hyderabad
यह हैदराबाद के मानव निर्मित नागार्जुन सागर झील में नागार्जुनकोंडाद्वीप में स्थित है। यह पूरी दुनिया में एक मात्र द्वीप संग्रहालय है। इसमें सभी बौध पुरारापाषाण और नवपाषाण कलाकृतियों और खंडहरों का एक बड़ा संग्रह है। जो इस स्थल पर पुरातत्वविद द्वारा पाए गये थे।
द्वीप म्यूजियम एक बौद्ध विहार के रूप में बनाया गया है।इस म्यूजियम का मुख्या आकर्षण एक कान की बाली और एक दांत है जो बुद्ध का माना जाता है। बुद्ध की अखंड मूर्ति और स्लैब जो बुद्ध के जीवन और चन्दन पत्थर की मूर्तियों को दर्शाने वाले चित्रों के साथ उकेरी गई हैं।
इस क्षेत्र की खोज 1926 में हुई थी और खुदाई 1950 और 60के दशक में की गईं थी। इस स्थान का नाम प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान और महायान बौद्ध धर्म के संस्थापक नागार्जुन के नाम पर रखा गया है।
नागार्जुनकोंडा के अन्य आकर्षण-
- एथिपोथला झरने-Ethipothala Waterfalls
- नागार्जुनकोंडा गुफाएं-Nagarjunakonda Caves
- नागार्जुनकोंडा डैम-Nagarjunakonda Dam
समय (Timings) सुबह 9:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक।
22. लोकगीत संग्रहालय, मैसूर-Folklore Museum, Mysore
लोकगीत म्यूजियम मैसूर विश्वविद्यालय के जयलक्ष्मी विलास हवेली में स्थित है।इसमें राज्य से एकत्र की गयी लोककथाओं से संबंधित 6,000से अधिक स्वदेशी-निर्मित कलाकृतियाँ, कला और शिल्प हैं। इसकी स्थापना 1968 में हुई थी।
संग्रहालय में तीन खंड या पंख शामिल हैं जो लोकगीत खंड, गुड़िया खंड और लोक-जीवन खंड हैं।लोककथाओं के खंड में आप कथकली वेशभूषा, हनुमान मुकुट, चमड़े की गुड़िया, कोक संगीत वाद्ययंत्, कठपुतली, 200 साल पुराणी स्याही की तयारी, लकड़ी की वेदी, देवताओं, मूर्तियों आदि के प्रदर्शन देखेंगे।
गुड़िया खंड में गुड़िया और मूर्तियों का एक बड़ा संग्रह है। जबकि लोक-जीवन खंड में कृषि यंत्र, बुनाई के उपकरण, दैनिक उपकरण, बर्तन, टोकरियाँ, लोक खेल आदि शामिल हैं। बाहरी परिसर में लकड़ी का रथ है।
तीन पंख या खंड एक दूसरे से धनुषाकार पैदल मार्ग से जुड़े हुए हैं। मुख्य हॉल के केंद्र में एक सुन्दर फव्वारादेखा जा सकता हैं। संग्रहालय के आतंरिक भाग को शानदार नक्काशीसे सजाया गया है।
आस-पास के आकर्षण निम्न हैं:
- कुक्कराहल झील-Kukkarahall Lake
- देवराज मार्केट-Devaraja Market
समय (Timings): सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक।
23. शिवालिक फॉसिल पार्क, हिमाचल प्रदेश-Shivalik Fossil Park, Himachal Pradesh
शिवालिक फॉसिल पार्क हिमाचलप्रदेश के सिरमौर जिले में स्थित है। इसे सुकेती फॉसिल पार्क के नाम से भी जाना जाता है। इसमें प्रागैतिहासिक कशेरुक और शिवालिक श्रेणी से खोदे गये कंकालों के जीवाश्मों का संग्रह है। ऐसा माना जाता है किये जीवाश्म उन स्तनधारियों के हैं। ये लगभग 2 मिलियन साल पहले इस क्षेत्र में रह रहे थे और दुनिया की सबसे समृद्ध पुरावशेष हैं।
इसका उद्घाटन 1974 में हुआ था और यह 1.5 वर्ग किमी में फैला हुआ है। इसे एशिया का सबसे बड़ा जीवाश्म पार्क माना जाता है। शिवालिक फॉसिल पार्क की स्थापना भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण द्वारा जीवाश्म हड्डियों के विनाश का पता लगाने और चट्टानों को खोदकर प्राप्त जीवाश्मों को संरक्षित करने और पूर्व-ऐतिहासिक काल की वैज्ञानिक जानकारी प्रदान करके लोगों और शोधार्थियोंको शिक्षित करने के लिए की गयी थी।
इस जगह पर, आप विलुप्त स्तनधारियों की छः प्रतिकृतियां देख सकते हैं। ये फाइबरग्लास और रजिन से बनी होती है, जिसमे कछुओं, मगरमच्छों, घड़ियाल आदि के अंगों और खोपड़ी और हाथीयों की विभिन्न प्रजातियोंके दांत शामिल हैं।
आस-पास के आकर्षण निम्न हैं:
- माँ बाला सुंदरी मंदिर-Maa Bala Sundri Temple
- नाहन चर्च-Nahan Church
- क्वीन्स वे-Queens Way
- कालीस्थान मंदिर-Kalisthan Temple
समय (Timings): सुबह 9:30 बजे से शाम 5:00 बजे तक।
24. पालड़ी काइट संग्रहालय, अहमदाबाद-Paldi Kite Museum, Ahmedabad
जैसा किनाम से पता चलता है, यह संग्रहालय पतंगों के लिए बनाया गया है। इसे 1954 में अहमदाबाद के सांस्कृतिक केंद्र के रूप में स्थापित किया गया था और इसे प्रसिद्ध वास्तुकार ले कॉर्बुसियर द्वारा डिज़ाइन किया गया था। पालड़ी पतंग संग्रहालय अहमदाबाद के पालड़ी में संस्कार केंद्र के परिसर में स्थित है।
इसकी शुरुआत तब हुई जब श्री भानु शाह ने अहमदाबाद नगर निगम को अपनी पतंगे दान में दीं। इसमें विभिन्न आकर, और रंगों की पतंगों की एक विशाल विविधता का विशाल संग्रह है और विभिन्न सामग्रियों जैसे नायलॉन, बांस, कपास, कागज़ आदि से बना है।
इस संग्रहालय के कुछ मुख्य आकर्षण में मिरर वर्क पतंग,ब्लॉक पतंग, जापानी पतंग और पेंटिंग और चित्र शामिल हैं। यहाँ आपको ऐसे डिस्प्ले भी दिखाई देंगे जो पतंगों की उत्पत्ति, पतंग बनाने की पगति और उड़ाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली विभिन्न तकनीकों और बहुत कुछ दिखाते हैं। कुछ मुख्य आकर्षक हैं 16 फीट लम्बी पतंग जिसमे गरबा नृत्य दिखाया गया है, और एक पतग जिसमे राधा कृष्ण हैं।
आस-पास के आकर्षण निम्न हैं:
- एम्फी थिएटर
- परिमल गार्डन
- श्री दर्दी नारायण मंदिर
- श्री महा लक्ष्मी माताजी मंदिर
समय (Timings): सुबह 10:00 से शाम 6:00 बजे तक।
25. मोम संग्रहालय, कन्याकुमारी-Wax Museum, Kanyakumari
यह कन्याकुमारी में कन्याकुमारी रेलवे स्टेशन के पास स्थित हैं। इसे कन्याकुमारी में बेवाच एम्युजमेंट पार्क के परिसर के अन्दर बनाया गया है। यह वैक्स म्यूजियम लंदन के मैडम तुसाद वैक्स म्यूजियम की तर्ज पर बनाया गया है।इसे 24 दिसम्बर 2005 को को जनता के लिए खोला गया था।
इसे भारत का पहला मोम ऐतिहासिक केंद्र माना जाता है। इस संग्रहालय की विशेषता यह है कि यह महात्मा गाँधी, अमिताभ बच्चन, रजनीकांत, इंदिरा गाँधी, अर्नोल्ड श्वार्जनेगर, जैकी चैन, माइकल जैक्सन, डेविड बेकहम और अधिक जैसे विभिन्न प्रसिद्ध राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय हस्तियों के मोम के आंकड़े प्रदर्शित करता है। मोम की मूर्तियों के अलावा इसमें दीवारों और फर्श पर 3डी पेंटिंग भी हैं। इन सभी प्रतिमाओं को प्रतिभाशाली भारतीय मोम कलाकारों ने बनाया है।
घूमने के लिए आस-पास के स्थान निम्न हैं:
- बेवाच मनोरंजन पार्क-Baywatch Amusement Park
- भगवती अम्मन मंदिर-Bhagavathi Amman Temple
- तिरुवल्लुवर की मूर्ति-Thiruvalluvar Statue
- विवेकानंद रॉक मेंमोरियल-Vivekananda Rock Memorial
- कन्याकुमारी बीच, तमिलनाडु-Kanyakumari Beach, Tamil Nadu
समय (Timings) : सुबह 8:00 बजे से शाम 6:30 तक।
26. डोगरा कला संग्रहालय, जम्मू-Dgra Art Museum, Jammu
डोगरा कला संग्रहालय मुबारक माडी परिसर, पुराने सचिवालय, जम्मू में पिंक हॉल में स्थित है। पहले इसे डोगरा आर्ट गैलरी के नाम से जाना जाता था। इसका उद्घाटन 18 अप्रैल 1954 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने किया था। डोगरा कल संग्रहालय बसोहली, कांगड़ा और जम्मू कला विद्यालयों के लघु चित्रों के लिए प्रसिद्ध है।
म्यूजियम के प्रदर्शनों में अखनूर से टेराकोटा प्रमुख, डोगरा वेशभूषा, हथियार और शस्त्रागार, आभूषण आदि शामिल हैं। म्यूजियम के मुख्य आकर्षण में मुग़ल सम्राट शाहजहाँ के स्वर्ण-चित्रित धनुष और तीर 18वीं शताब्दी के कृष्ण-सुदामा चित्र शामिल हैं। सिकंदरनामा और शाहनामा से हस्तलिखित पांडुलिपियाँ इसके अलावा संगमरमर के हॉल में कीमती पत्थरों के काम से सजाए गए आकर्षण संगमरमर के झरोखे (स्काईलाइट) संग्रहालय के संग्रह के आकर्षण को और बढ़ाते हैं
देखने के लिए आस-पास के स्थान निम्न हैं:
- मुबारक मंडी पैलेस-Mubarak Mandi Palace
- गदाधर मंदिर-Gadadhar Temple
- काली मंदिर-Kali Mandir
समय (Timings): सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक।
27. पार्टीशन म्यूजियम अमृतसर-Partition Museum, Amritsar
विभाजन संग्रहालय अमृतसर के टाउन हॉल में स्थित है। इसे कला और सांस्कृतिक विरासत ट्रस्ट (TAACHT) द्वारा विकसित किया गया था। संग्रहालय हेरिटेज स्ट्रीटका एक हिस्सा है जो स्वर्ण मंदिर से टाउन हॉल तक शुरू होता है।
इसे अगस्त 2017 में शुरू किया गया था। इसे ब्रिटिश भारत के भारत और पाकिस्तान में विभाजन के दौरान लाखों लोगों द्वारा सामना किए गए आघातों और तनाव पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए बनाया गया था।
इस जगह के संग्रह में अख़बार की कतरने, तस्वीरें और लोगों द्वारा विभाजन के दौरान अपने घरों को छोड़ने से पहले दान की गई चीजें शामिल हैं। यह पीड़ितों और विभाजन के बचे लोगों के जीवन और उनकी आजीवन विरासत से संबधित चीज़ों को प्रदर्शित करता है।
TAACHT का उद्देश्य 1947 में विभाजन की यादों को समर्पित एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर के भौतिक संग्रहालय के रूप में विभाजन संग्रहालय की स्थापना करना है। इसमें एक सीमा आयोग कक्ष है जिसमे सीमाओं से संबंधित नक़्शे और जनगणना की जानकारी है। प्रवासन की इसकी गैलरी में विभाजन के दौरान ट्रेन द्वारा शरणार्थियों की आवाजाही को प्रदर्शित करने के लिए आदमकद ट्रेन की प्रतिकृति है। इसमें मल्टीमीडिया और ऑडियो स्टेशन भी हैं। जिनमें विभाजन के करण पीड़ित लोगों की आवाजें हैं।
घूमने के लिए आस-पास के स्थान निम्न हैं:
- स्वर्ण मंदिर-Golden Tembple
- जलियांवाला बाग़-Jallianwala Bagh
- सेंट्रल सिख सग्रहालय-Central Sikh Museum
- दुर्गियाना मंदिर-Durgiana Temple
समय (Timings): सुबह 10:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक।
28. सरकारी संग्रहालय और आर्ट गैलरी, चंडीगढ़-Government Museum and Art Gallery, Chandigarh
यह भारत के केंद्र शासित प्रदेश में गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ़ आर्ट से सटे चंडीगढ़ के सेक्टर 10 में स्थित है। इस संग्रहालय की स्थापना अगस्त 1947में देश के विभाजन से जुड़ी हुई है। यह गांधार की मूर्तियों, राजस्थानी और पहाड़ी लघु चित्रों, सजावटी कलाओं आदि का एक विशाल संग्रह है।
विभाजन से पहले यह संग्रह उस समय पंजाब की राजधानी लाहौर के केंद्रीय संगहालय में रखा गया था। 10 अप्रैल 1948 को संग्रह को दो भागों में विभाजित किया था। लगभग 60 प्रतिशत वस्तुओं को पाकिस्तान ने अपने पास रखा था और शेष चालीस प्रतिशत संग्रह भारत को दिया गया था। पहले यह संग्रह अमृतसर में रखा गया था बाद में इसे शिमला फिर पटियाला और अंत में चंडीगढ़ के सेक्टर 10 में स्थानांतरित कर दिया गया। संग्रहालय की इमारत ली कॉर्बूसियरद्वारा डिज़ाइन की गई है।
म्यूजियम का उद्घाटन 6 मई 1968 को डॉ. एम.एस. रंधावा द्वारा की गयी। जो चंडीगढ़के तत्कालीन मुख्य आयुक्त थे। संग्रहालय के विस्तार की आवश्यकता को पूरा करने के लिए संग्रहालय में कुछ और इमारतें जोड़ी गईं।
इसके संग्रह में नौ श्रेणियों में विभाजित लगभग 10,000 आइटम शामिल हैं जन्में प्राचीन भारतीय मूर्तिकला, गांधार मूर्तिकला, एपिग्राफी और न्यूमिज़माटिक्स, भारतीय लघु चित्र, धातु मूर्तिकला, समकालीन भारतीय कला और सजावटी कला शामिल हैं।
संग्रहालय के मुख्य आकर्षण में पद्मावती की जैन प्रतिमा, पौराणिक महिला दानव हरिती की मूर्तियाँ, 16वीं शताब्दी से दस सजाए गये लौर चंदा कविता फोलियो, सुपरफाइन रफू सिलाई की कढ़ाई के साथ सिकंदर नाम रुमाल शॉल, 1730 गीता गोविंदा कविता का चित्रण शामिल हैं। जयदेव द्वारा कागज़ पर पेंटिंग के रूप में और 15वीं से 16वीं शताब्दी तक मंजुश्री (बौद्ध भगवान) की नेपाली लकड़ी की मूर्ति।
देखने के लिए आस-पास के स्थान निम्न हैं:
- पत्थर बाग़-Rock Garden
- सुखना झील-Sukhna Lake
- पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़-Punjab University Chandigarh
- रोज़ गार्डनव-Rose Garden
समय (Timings): सुबह 10:30 बजे से शाम 4:30 बजे तक।
29. मणि भवन, मुंबई-Mani Bhavan, Mumbai
यह मुंबई के लबर्नम (Laburnam) रॉड में स्थित है। यह ऐतिहासिक स्थान गाँधी को समर्पित है।यह कभी गाँधी जी का मुबई मुख्यालय था जिसे बाद में एक संग्रहालय में बदल दिया गया था।
संग्रहालय में महात्मा गाँधी के मणि भवन हवेली में रहने से संबंधित एक संग्रह है जैसे कि उनका निजी सामान और 1917 से 1934 तक उनकी गतिविधियाँ। गाँधी जी ने अपने अधिकांश स्वतंत्रता आंदोलनों की शुरुआत इसी स्थान से की, जैसे स्वदेशी, सत्याग्रह, असहयोग, खादी आदि।
म्यूजियम की पहली मंजिल में एक फोटो गैलरी है जिसमे गाँधी जी के बचपन से लेकर उनकी हत्या तक की तस्वीरों के साथ-साथ प्रेस की कटिंग भी दिखाई गई है। गाँधी जी का कमरा दूसरी मंजिल पर स्थित है जहाँ आगंतुक उनके चरखा, किताब और उनके बिस्तार को देख सकते हैं। छत इसलिए भी महत्वपूर्ण हैक्योंकि यह वह स्थान है जहाँ 4 जनवरी 1932 को गाँधी जी को गिरफ्तार किया गया था। इसमें एक पुस्तकालय भी है जिसमे लगभग 40,000 किताबें और पत्रिकाएं और एक सभागार और महत्वपूर्ण भाषण खेले जाते हैं। यह स्थान आगंतुकों को महात्मा गाँधी जी के नेतृत्व वाले स्वतंत्रता संग्राम में वापस ले जाता है।
घूमने के लिए आस-पास के स्थान निम्न हैं:
- श्री श्री राधा गोपीनाथ मंदिर-Sri Sri Radha Gopinath Tembple
- चौपाटी बीच-Chowpatty Beach
- नरीमन पॉइंट-Nariman Point
- बाबुलनाथ मंदिर-Babulnath Temple
- मैकिचन हल्वो-Mackichan Hallv
- चर्च मिशन हाउस-Church Missaion House
समय (Timings): सुबह 9:30 बजे से शाम 6:00 बजे तक।
30. सुलभ इंटरनेशनल म्यूजियम ऑफ़ टॉयलेट्स, दिल्ली-Sulabh International Museum of Toilets, Delhi
यह म्यूजियम नई दिल्ली में महावीर एन्क्लेव में पालम-दादरी रॉड पर स्थित है। संग्रहालय का रखरखाव सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस आर्गेनाइजेशन द्वारा किया जाता है। इसकी स्थापना 1992 में नई दिल्ली में डॉ.बेन्देश्वर पाठक के प्रयासों से हुई थी।
इसमें 2500 ईसा पूर्व से अब तक शौचालयों के विकास को दर्शाने वाली वस्तुओं और चित्रों का दुर्लभ संग्रह है। यह कलानुक्रमित क्रम में अलग-अलग समय के शौचालयों, शौचालयों से संबंधित सामाजिक रीति-रिवाजों के उपयोग से संबंधित विकास को प्रदर्शित करता है। यहाँ आगंतुक 1145 से आज तक प्रिविज़ ,टॉयलेट फर्नीचर, चम्बर पॉट्स, वाटर क्लोसेट्स और बिडेट्स देख सकते हैं। शौचालय 50 से अधिक देशों से एकत्र किये जाते है और तीन श्रेणियों में विभाजित होते हैं जो प्राचीन, मध्यकालीन, और आधुनिक हैं।
मुख्य आकर्षण में हड़प्पा सभ्यता की सीवरेज प्रणाली का प्रदर्शन, सर जॉन हैरिंगटन द्वारा 1596 में तैयार किये गये फ्लश पॉट का एक रिकार्ड और एक खजाना संदूक शामिल है जिसका उपयोग अंग्रेजों द्वारा शौचालय के मट्ठेके रूप में शिकार के दौरान किया गया था। इसमें सोने और चांदी के बने शौचालय भी हैं जिनका प्रयोग रोमन सम्राटों द्वारा किया जाता था।
देखने के लिए आस-पास के स्थान निम्न हैं:
- बिरला मंदिर-Birla Mandir
- छतरपुर मंदिर-Chhatarpur Temple
- हुमायूँ का मकबरा-Humayun’s Tomb
- जंतर मंतर-Tantar Mantar
- जामा मस्जिद-Jama Masjid
समय (Timings): सुबह 10:00 से शाम 5:00 बजे तक।